चलो आज मैं आप लोगों को लड़कों की कहानी बताता हूं। इतना आसान नहीं होता लड़कों की जिंदगी जीना आप बस आजादी के नजरिए से देखती होगी की लड़कों को पूरी आजादी दी जाती है लेकिन क्या आपने कभी लड़कों का मन पड़ा है लड़कों के नजरिए से देखा है क्या यह आजादी परमानेंट होती है या यह आजादी के पीछे भी इनकी जिमेवारिया रहती है। तो चलो मैं आप लोगों को इन लड़कों की छोटी सी कहानी बताता हूं यह जब पैदा होते हैं तब से ही इनका स्ट्रगल शुरू हो जाती है उनके पैदा होने के टाइम ही घरवाले डिसीजन ले लेते हैं कि बड़ा होकर मेरा बेटा इंजीनियर , डॉक्टर आदि इत्यादि बनेगा हां यह आपको भले ही आजादी लगती होगी लेकिन इसको फ्रीडम नहीं कहते जो अपने मुताबिक अपना फैशन फॉलो ना कर सके उसे आजादी नहीं कहते। लड़का थोड़ा और बड़ा हो जाता है तो उसे किसी प्राइवेट स्कूल में भर्ती करा दिया जाता है और हॉस्टल में रख दिया जाता है। आप समझ सकते हो इतने छोटे में वह अपने फैमिली से दूर चला जाता है और फिर वह हमेशा के लिए बाहर में ही रह जाता है पहले मैट्रिक , इंटर , ग्रेजुएशन फिर जॉब फिर शादी फिर घर की जिम्मेदारियां फिर भी इतने कुछ करने के बाद