बारिश की बूंदे

ए बारिश की बूंदे की अलग ही खुशी होती है।

जब ये बारिश की बूंदे आती है सब पेड़ पौधे हरे भरे हो जाते हैं हर जगह हरियाली ही हरियाली नजर आने लगती है और किसानों में एक अलग ही उमंग देखने को मिलता है
और साहब यह बारिश की बूंदे आपके समझ से परे है जब यह बारिश की बूंदे किसान देखते हैं उनके मन में उल्लास आ जाता है और मन खुश हो जाता है और किसान उल्लास में नाचने लगते हैं आप नहीं समझोगे साहब ए किसान की बातें हैं।

और आप शहरी लोग ईद दुर्गा पूजा का स्वागत करते हैं और यह किसान है साहब यह मानसून का इंतजार करते हैं आप नहीं समझोगे साहब यह किसान की बातें हैं।

और जो यह सेठ साहूकार लोग होते हैं यह चाहते हैं कि बारिश की यह बूंदे ना ही आए तो बेहतर है क्योंकि जब यह बारिश की बूंदे आएगी तो इनके व्यापार में कमी आ जाती है इसका कारण है कि किसान अच्छे से खेती करने लगता है और खेती में बढ़ोतरी आ जाती है इसमें सेठ साहूकारों की दिक्कत होती है वह अपने व्यापार को अच्छे से चला नहीं सकते लेकिन यह सेठ साहूकार लोग यह नहीं जान पाते की इनको व्यापार यह किसान ही देते हैं किसान ही फसल उपजा के इनके पास लाते हैं तभी यह व्यापार कर पाते हैं आप नहीं समझोगे साहब यह किसान की बातें हैं।

यह असलियत है कि बारिश की बूंदों का इंतजार किसान करते हैं लेकिन दूसरे तरफ इसका दुष्प्रभाव भी होता है जैसे कि अगर बारिश ज्यादा होने लगी तो फसलें बर्बाद भी हो सकती है और इनकी रोजी रोटी छिन जाती है आप नहीं समझोगे साहब यह किसान की बातें हैं।

एक तरफ किसान की खुशी और दूसरी तरफ बच्चों की खुशी बच्चे पानी में खेलते हैं नाचते हैं गाते हैं नहाते हैं और आखिरकार मम्मी से मार खा कर रोते रोते सो जाते  हैं मानसून में आपके बच्चे घरों में टीवी देखते हैं और यह किसान के बच्चे मानसून का मजा उठाते हैं आप नहीं समझोगे साहब यह किसान की बातें है।
बारिश के मौसम में किसान छाता लेकर खेतों में जाते हैं और आप लोगों को कार से ऑफिस जाने में दिक्कत होती है तो भगवान को कोसते हैं यह बारिश क्यों हो रही है रुक क्यों नहीं रही है , आप नहीं समझोगे साहब यह किसान की बातें हैं।
                         Written by- Er. Ankur bharti

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