पहले के बच्चे और अभी के बच्चे
आज मैं आप लोगों को पहले के बच्चे और अभी के बच्चे की कहानी बताता हूं।
पहले के छोटे बच्चे मिट्टी से खेला करते थे थोड़ी से बड़े होने के बाद सस्ते खिलौने से खेला करते थे फिर थोड़ी और बड़े होते थे तो गिल्ली डंडा , फिटो , लुकाछिपी, आंटी, कबड्डी, चोर मंत्री, लूडो, व्यापारी आदि इत्यादि और थोड़े से बच्चे और बड़े हो जाए तो यह क्रिकेट खेलते हैं फुटबॉल खेलते है।
लेकिन अभी के छोटे बच्चे को कार्टून देखना है महंगे महंगे खिलौने चाहिए , और थोड़े से और बड़े हो जाएं तो इन्हें मोबाइल में गेम खेलना है और थोड़े से और बड़े हो जाएं तो इनको पर्सनल फोन चाहिए जिसमें यह गेम खेल सके और अगर थोड़े से और बड़े हो गए तो इनको आईफोन चाहिए आईपैड चाहिए जिसमें यह कंफर्ट से गेम खेल पाए ताकि फोन हैंग ना करें।
पहले के बच्चे पैदल चल के सरकारी स्कूल जाते थे और सिलेट में लिखते थे। जब थोड़े मुझे क्लास में जाते थे और उन्हें टीचर पूछते थे तो बोलो बच्चों आप बड़े बन होकर बड़े होकर क्या बनना चाहते हो तो उस टाइम के बच्चे बोलते थे आईएएस, आईपीएस, इंजीनियर, डॉक्टर, आर्मी आदि इत्यादि भले इनको इन ऑफिसर रोका वैल्यू नहीं पता रहता था या कैसे इसकी तैयारी करना है वह नहीं पता रहता था लेकिन इनका गोल उसी टाइम बन जाता था।
अभी के बच्चे महंगे स्कूलों में जाते हैं उन्हें सुबह जबरदस्ती उठाया जाता है और फिर उन्हें स्कूल छोड़ने जाया जाता है फिर उन्हें लाने जाया जाता है। और अगर शिक्षक पूछे तो बताओ बच्चों आप लोगों को बड़े होकर क्या बनना है तो बच्चों का जवाब आता है सर मैं बड़े होकर हैकर बनूंगा , गेमर बनूंगा ।
पहले के बच्चों को जब मास्टर जी मारते थे और बच्चा घर में आकर टीचर की शिकायत करता था तो घर वाले बोलते थे ठीक किया पढ़ते नहीं होगे तो मारेंगे नहीं तो क्या करेंगे मैं बोल दूंगा टीचर को और मारे ताकि आने का बच्चा और अच्छे से पढ़े और बड़े।
अब के बच्चों को टीचर मारते हैं और बच्चा घर में आकर टीचर की शिकायत करता है तो उसके घर वाले टीचर को कॉल करके सुनाते हैं और डांटते हैं कि मेरे बच्चे को क्यों मारा।
इसका कंक्लुजन यह नहीं की बच्चों को कुछ मत दो उनको अच्छे से नहीं रखो आप बच्चों को जितना कुछ दे सकते हो दो लेकिन उसका कुछ इमिटेशन होना चाहिए ताकि बच्चा उस चीजों का फायदा ना उठाने लगे।
Written by- ER.Ankur Bharti
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